भारत की भौगोलिक और पर्यावरणीय सुंदरता का प्रतीक अरावली पर्वत श्रृंखला आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है। यह दुनिया की सबसे पुरानी वलित पर्वतमालाओं में से एक है। यह न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत की पारिस्थितिकी के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है।
हाल के समय में Aravalli Hills श्रृंखला के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बढ़ते अरावली आंदोलन ने इस विषय को चर्चा का केंद्र बना दिया है। आइए, इस विस्तृत लेख में जानते हैं अरावली के महत्व, कानूनी विवाद और अरावली से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी।
Aravalli Hills Range
अरावली पर्वत श्रृंखला लगभग 650 किलोमीटर लंबी है। यह गुजरात से शुरू होकर राजस्थान और हरियाणा होते हुए दिल्ली तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर (1722 मीटर) माउंट आबू में स्थित है।
अरावली का महत्व:
* मरुस्थलीकरण पर रोक: यह थार रेगिस्तान की धूल भरी हवाओं को गंगा के मैदानों की ओर बढ़ने से रोकने वाली एक प्राकृतिक दीवार है।
* जल संचयन: यह क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण जल पुनर्भरण क्षेत्र है।
* जैव विविधता: यहां तेंदुओं, नीलगाय और दुर्लभ वनस्पतियों का बसेरा है।
Aravalli Hills Supreme Court Judgement(अरावली पर्वत श्रृंखला से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला): नया विवाद
नवंबर-दिसंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। न्यायालय ने अरावली की एक समान तकनीकी परिभाषा को मंजूरी दी है।
फैसले के मुख्य बिंदु:
* 100 मीटर का मानक: अब केवल वही संरचनाएं आधिकारिक तौर पर ‘अरावली पहाड़ी’ मानी जाएंगी जिनकी ऊंचाई जमीन से 100मीटर या उससे अधिक है।
* खनन पर रोक: कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में नए खनन पट्टों पर पूर्ण रोक लगा दी है।
* चिंता का विषय: विशेषज्ञों का दावा है कि इस नई परिभाषा से अरावली का लगभग 90% हिस्सा कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो सकता है। इससे अवैध निर्माण का खतरा बढ़ सकता है।
Aravalli Hills Protest (अरावली बचाओ आंदोलन)
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले और पहाड़ियों की नई परिभाषा के खिलाफ पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों ने अरावली बचाओ आंदोलन शुरू कर दिया है। 11 दिसंबर 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस’ के अवसर पर ‘सेव अरावली’ अभियान ने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक जोर पकड़ा।
* विरोध का कारण: लोगों का मानना है कि 100 मीटर से कम ऊंची पहाड़ियों को ‘अरावली’ न मानने से भू-माफियाओं और अवैध खनन को बढ़ावा मिलेगा।
* पर्यावरण संकट: पेड़ों की कटाई और पहाड़ियों के खत्म होने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की आशंका है।
Aravalli Hills News in Hindi (अरावली से जुड़ी ताजा खबरें):
अगर हम Aravalli Hills से जुड़ी ताजा खबरों की बात करें, तो सरकार ने संरक्षण के लिए ‘अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट‘ शुरू किया है।
यह प्रोजेक्ट अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल‘ से प्रेरित है। इसका लक्ष्य 5 किलोमीटर चौड़ी हरित पट्टी विकसित करना है ताकि मरुस्थलीकरण को रोका जा सके।
निष्कर्ष
Aravalli Hills केवल पत्थरों का ढेर नहीं है। यह उत्तर भारत के करोड़ों लोगों के अस्तित्व का आधार है। अरावली पर्वत श्रृंखला का सुप्रीम कोर्ट का फैसला और इसके बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने इसे साफ कर दिया है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
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Aravalli Hills Controversy Explained
यह वीडियो अरावली की नई परिभाषा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पन्न विवाद को सरल भाषा में विस्तार से समझाता है।
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FAQ’s
Q1. अरावली पर्वत श्रृंखला (Aravalli Hills Range) की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?
उत्तर: अरावली की सबसे ऊंची चोटी ‘गुरु शिखर’ है, जिसकी ऊंचाई 1722 मीटर है। यह राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू में स्थित है।
Q2. अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला (Supreme Court Judgement) क्या है?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की एक नई तकनीकी परिभाषा तय की है, जिसके तहत केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची पहाड़ियों को सुरक्षा मिलेगी। साथ ही, कोर्ट ने पूरे क्षेत्र में नए खनन पट्टों (Mining Leases) पर रोक लगा दी है।
Q3. अरावली बचाओ आंदोलन (Aravalli Hills Protest) क्यों किया जा रहा है?
उत्तर: पर्यावरणविदों का मानना है कि ‘100 मीटर’ की नई परिभाषा से अरावली का एक बड़ा हिस्सा कानूनी सुरक्षा से बाहर हो जाएगा। इससे अवैध निर्माण और खनन बढ़ने का खतरा है, जिसके विरोध में स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी प्रदर्शन कर रहे हैं।
Q4. अरावली पहाड़ियों का महत्व क्या है?
उत्तर: अरावली न केवल थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है, बल्कि यह दिल्ली-NCR के लिए ‘ग्रीन लंग्स’ की तरह काम करती है और भूजल स्तर (Groundwater Level) को बनाए रखने में मदद करती है।